कठिन परिश्रम का फल |
1. कठिन परिश्रम से ही सभी कार्य पूरे हो सकते हैं। केवल बैठकर सोचने से कोई भी कार्य पूरा नहीं होता।
जैसे सोते हुए शेर के मुँह में स्वयं ही हिरन नहीं चले जाते।
2 . मीठे वचन व कोमल वाणी , सभी को सुखदायी लगती है। इसलिए सभी को मीठे वचन व कोमल वाणी ही बोलनी चाहिए।
जैसे कोयल की वाणी सभी को प्रिय होती है और कौवे की वाणी सभी को अप्रिय होती है।
सर्वश्रेष्ठ गुण |
3 . भलाई करना महापुरूषों का सर्वश्रेष्ठ गुण होता है , वह निःस्वार्थ होकर दूसरों की भलाई व सहायता करते हैं।
जैसे पेड़ दूसरों के लिए फल - फूल देते हैं , नदियाँ दूसरोँ की सहायता के लिए लगातार बहती हैं और सूर्य भी दूसरों के लिए निरन्तर प्रकाशवान होता है।
4 . जिसमें स्वयं बुद्धि नहीं होती है उसको विद्वान व्यक्ति भी कुछ नहीं सिखा सकता है।
जैसे दृष्टिहीन व्यक्ति को दर्पण दिखाने से कोई लाभ नहीं होता है।
महात्मा गाँधी |
5 . जो मनुष्य मेहनती होते हैं , साहसी होते हैं , धैर्य रखते हैं , बुद्धि से कार्य करते हैं व ज्ञान का सही प्रयोग करते हैं ईश्वर भी उनकी सदैव सहायता करता है।
जैसे महात्मा गाँधी जी ने अपनी मेहनत , साहस , धैर्य , बुद्धि व ज्ञान के बल पर भारत देश को आजाद कराया।
6. बैर का अंत बैर से नहीं होता है। बैर भाव को त्यागने से ही बैर का अंत सम्भव है।
उद्देश्य की ओर कदम |
जैसे एक छोटी सी चींटी चलते -चलते सौ कोस तक की दूरी तय कर लेती है किन्तु बिना दौड़े चीता भी अपने शिकार को छू भी नहीं सकता।
8 . ज्ञानवान व्यक्ति कभी भी गर्व नहीं करता चाहे वह कितना भी श्रेष्ठ कार्य कर ले या सफलता प्राप्त कर ले, किन्तु गुणहीन व्यक्ति थोड़ी सी सफलता पर अत्यधिक घमंडी हो जाता है।
जैसे जल से पूरा भरा घड़ा कभी भी शोर नहीं करता है , किन्तु आधा भरा हुआ घड़ा , सदैव ही शोर करता है।
महापुरूषों का गुण |
9. महापुरूष लोग सुख और दुःख में , हमेशा एक समान रहते हैं। यह उनका विशेष गुण होता है।
जैसे सूर्य उदय होते समय लाल रहता है , तो अस्त होते समय भी लाल रहता है।
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